18th Mantra of Isa-Upanishad.
अग्ने नय सुपथा राये अस्मान् विश्वानि देव वयुनानि विद्वान्।
युयोध्यस्मज्जुहुराणमेनो भूयिष्ठां ते नमउक्तिं विधेम॥१८॥
हे अग्नि देव ! हमें कर्म फल भोग के लिए सन्मार्ग पर ले चल । हे देव तू समस्त ज्ञान और कर्मों को जानने वाला है । हमारे पाखंड पूर्ण पापों को नष्ट कर । हम तेरे लिए अनेक बार नमस्कार करते है ।
O Fire (Agni)! Lead us on virtuous path to enjoy the wealth that has been accumulates on account of the good deed we performed. Oh God! You are knower of all knowledge and any action. We pray to destroy our false sins. We offer to you many may salutations.
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