कठोपनिषद


4th Mantra of Kathopanishada
(चतुर्थ मन्त्र)
स होवाच पितरं तत कस्मै मां दास्यतीति।
द्वितीयं तृतीयं तं होवाच मृत्यवे त्वा ददामीति॥४॥

वह ( नचिकेता) विचारपूर्वक पिता से बोला-हे पिता, आप मुझे किसको देंगे ? दूसरी, तीसरी बार (ऐसा कहने पर) पिता ने उससे कहा - मैं तुझे मृत्यु को देता हूं।
4. Having some thoughts Nachiketa spoke to his father (Vajashrava), “O Father, to whom you will give me?” When he asks this repeatedly, twice and thrice, his father said (in anger), “I will give you to God of Death (Mrityu).”  

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