15th Mantra of Isa-Upanishad.
हिरण्यमयेन पात्रेण सत्यस्यापिहितं मुखम्।
तत्त्वं पुषन्नपावृणु सत्य धर्माय दृष्टये॥
सत्य (आदित्य मण्डलस्थ ब्रह्म) का मुख ज्योतिर्मय पात्र से ढका हुआ है । हे पूषन मुझ सत्या धर्मा को आत्मा की उपलब्धि कराने के लिए तू उसे उघाड़ दे ।
The face of Truth is covered with golden divine light characters. O Pushan (Effulgent Being)! Debunk it for me (the one who is in search of Truth) to make the achievement of Supreme Being.
ईशावास्योपनिषद के मन्त्रों का अत्यंत सुन्दर एवं सरलीकृत अनुवाद सर्व सुलभ कराकर आपने जिज्ञासुओं हेतु बड़ा नेक कार्य किया है। इसके लिए आपको बहुत बहुत बधाई।
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