1 st Mantra of Isa-Upanishad.
ॐ ईशा वास्यमिदँ सर्वं यत्किञ्च जगत्यां जगत्।
तेन त्यक्तेन भुञ्जीथा मा गृधः कस्यस्विद्धनम्॥१॥
(जगत् मे जो कुछ स्थावर-जङ्गम संसार है, वह सब ईश्वर के द्वारा व्याप्त है। उसका त्याग-भाव उपभोग करना चाहिए ,किसीके धन की इच्छा नहीं करनी चाहिए ।।1।।)
ॐ ईशा वास्यमिदँ सर्वं यत्किञ्च जगत्यां जगत्।
तेन त्यक्तेन भुञ्जीथा मा गृधः कस्यस्विद्धनम्॥१॥
(जगत् मे जो कुछ स्थावर-जङ्गम संसार है, वह सब ईश्वर के द्वारा व्याप्त है। उसका त्याग-भाव उपभोग करना चाहिए ,किसीके धन की इच्छा नहीं करनी चाहिए ।।1।।)
All this, whatsoever exists in the universe, should be covered by the Lord, in other words by perceiving the Divine Presence everywhere. Having renounced (the unreal), enjoy (the Real). Do not covet the wealth of any man.
अदभुत
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