ईशावास्योपनिषद

13th Mantra of Isa-Upanishad.
अन्यदेवाहुः सम्भवादन्यदाहुरसम्भवात्।
इति शुश्रुम धीराणां ये नस्तद्विचचक्षिरे॥
हिरण्यगर्भ की उपासना से और ही फल बताया गया है ; तथा अव्यक्त प्रकृति की उपासना से और फल बताया गया है । इस प्रकार हमने बुद्धिमानों से सुना है ,जिन्होने  हमारे प्रति हमे समझाने के लिए उनकी व्याख्या की थी ।
What we get from the worship of the Unmanifested (Hiranyagarbha) and another from the worship of the manifested (Unborn Prakriti). Thus we have heard from the wise who revealed that to our understanding.

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