10th Mantra of Isa-Upanishad.
अन्यदेवाहुर्विद्ययाऽन्यदाहुरविद्यया।
इति शुश्रुम धीराणां ये नस्तद्विचचक्षिरे॥१०॥
विद्या (ज्ञान)-से और ही फल है तथा अविद्या (कर्म)-से और ही फल है। ऐसा हमने बुद्धिमान् पुरुषों से सुना है, जिन्होने हमारे प्रति उसकी व्यवस्था की थी ॥१०॥
What we get from Vidya (Knowledge) is different; and from Avidya (ignorance, performance of ritualistic Karma) is different. Thus we have heard from the wise men who taught this.
इति शुश्रुम धीराणां ये नस्तद्विचचक्षिरे॥१०॥
विद्या (ज्ञान)-से और ही फल है तथा अविद्या (कर्म)-से और ही फल है। ऐसा हमने बुद्धिमान् पुरुषों से सुना है, जिन्होने हमारे प्रति उसकी व्यवस्था की थी ॥१०॥
What we get from Vidya (Knowledge) is different; and from Avidya (ignorance, performance of ritualistic Karma) is different. Thus we have heard from the wise men who taught this.
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें