12th Mantra of Isa-Upanishad.
अन्धं तमः प्रविशन्ति येऽसम्भूतिमुपासते।
ततो भूय इव ते तमो य उ सम्भूत्याँ रताः॥१२॥
जो कारण प्रकृति कारण (अव्यक्त प्रकृति) की उपासना करते हैं वे गहरे अन्धकार में प्रवेश करते हैं |और जो कार्य प्रकृति (व्यक्त प्रकृति) में रमते हैं वे उससे भी अधिक अन्धकार को प्राप्त होते हैं ॥१२॥
ततो भूय इव ते तमो य उ सम्भूत्याँ रताः॥१२॥
जो कारण प्रकृति कारण (अव्यक्त प्रकृति) की उपासना करते हैं वे गहरे अन्धकार में प्रवेश करते हैं |और जो कार्य प्रकृति (व्यक्त प्रकृति) में रमते हैं वे उससे भी अधिक अन्धकार को प्राप्त होते हैं ॥१२॥
Into a blind darkness they enter who follow Unmanifested (Prakriti), they as if into a greater darkness those who devote to the Manifested (Hiranyagarbha).
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