9th Mantra of Isa-Upanishad.
अन्धं तमः प्रविशन्ति येऽविद्यामुपासते।
ततो भूय इव ते तमो य उ विद्यायाँ रताः॥९॥
(जो अविद्या (कर्म)- की उपासना करते हैं वे [अविद्यारूप] घोर अन्धकार मे प्रवेश करते हैं और जो विद्या (उपासना)-मे ही रत हैं वे मानों उससे भी अधिक अन्धकार मे प्रवेश करते हैं।)
They who worship Avidya (karma) alone fall into blind darkness of this materialistic life (Samsara): and those who worship (Known as Upaasana) Vidya alone (and not the actual performance) fall into even greater darkness.
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