7th Mantra of Kathopanishad.
(सातवाँ मन्त्र)
वैश्वानर: प्रविशत्यतिथिर्ब्राह्मणों गृहान्।
तस्यैतां शान्ति कुर्वन्ति हर वैवस्वतोदकम् ॥७॥
[(यमराज की पत्नी और उसके मंत्री ने यमराज से कहा) हे सूर्यपुत्र यमराज, ब्राह्मण अतिथि घर में अग्नि की भांति प्रवेश करते हैं।गृहस्थ उनकी जल से शान्ति करते हैं, आप (अतिथि के आदर-सम्मान के लिए) जल ले जाइये।]
तस्यैतां शान्ति कुर्वन्ति हर वैवस्वतोदकम् ॥७॥
[(यमराज की पत्नी और उसके मंत्री ने यमराज से कहा) हे सूर्यपुत्र यमराज, ब्राह्मण अतिथि घर में अग्नि की भांति प्रवेश करते हैं।गृहस्थ उनकी जल से शान्ति करते हैं, आप (अतिथि के आदर-सम्मान के लिए) जल ले जाइये।]
Yama was advised by his wife and his minister “The Brahmin guest enters a house like fire. The householder calms him with water. O Yama! Go immediately and bring some water (to perform some respect to the Guest)”.
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें