5th Mantra of Kathopanishada
(पांचवां मन्त्र)
बहूनामेमि प्रथमों बहूनामेमि मध्यम:।
किं स्विद्यमस्य कर्तव्यं यन्मयाद्य करिष्यति ॥५॥नचिकेता ने सोचा कि मैं बहुत से (शिष्यों एवं पुत्रों में) प्रथम हूं, बहुत से मे द्वितीय हूं। यम का कौन सा ऐसा कार्य है, जिसे पिताजी मेरे द्वारा (मुझे देकर) करेंगे?
Nachiketa thought that among many (sons or pupils) I am the foremost, and among many I am middlemost. What work of Yama (God of Death) is it which my father will fulfill through me?
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