कठोपनिषद

9th Mantra of Kathopanishad.

(नौवां मन्त्र)

तिस्त्रो रात्रीर्यदवात्सीर्गृहे मे अनश्नन् ब्रह्मन्नतिथिर्नमस्य:।
नमस्ते अस्तु ब्रह्मन् स्वस्ति में अस्तु तस्मात् प्रति त्रीन् बरान् वृणीष्व॥९॥

(यमराज ने कहा) हे ब्राह्मण देवता, आप वन्दनीय अतिथि हैं। मैं आपको नमन करता हूँ। हे ब्राह्मण देवता, मेरा कल्याण हो (मेरे अशुभ नष्ट हों)। आपने जो तीन रात्रियां मेरे घर में बिना भोजन किये ही निवास किया,उसके लिए आप मुझसे प्रत्येक के बदले एक (अर्थात तीन) वर मांग लें।

(Yama said) "Oh, Brahman, since you, venerable guest, has been in my home three days without taking food; I salute you. I hereby pray to you to have that sin removed. Pick as compensation three boons (one for each night of your stay)."

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