कठोपनिषद

19th Mantra Of Kathopanishada
(उन्नीसवां मन्त्र)
एष तेऽग्निर्नचिकेत: स्वर्ग्यो यमवृणीथा द्वितीयेन वरेण।
एतमग्निं तवैव प्रवक्ष्यन्ति जनासस्तृतीयं वरं नचिकेतो वृष्णीष्व॥१९॥
हे नचिकेता ! तुमसे कही हुई यह स्वर्ग की साधन रुपा अग्नि विद्या है, जिसे तुमने दूसरे वर से मांगा था। इस अग्नि को लोग तुम्हारे नाम से (नाचिकेत अग्नि) कहा करेंगे। हे नचिकेता, तीसरा वर मांगों।
(Yama said :) “O Nachiketa! The fire which leads to heaven, for which you asked for with the second boon, has been told to you. People shall call this fire yours (Nachiketas Agni). Ask now for the third boon.”

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