12th Mantra of Kathopanishada
(बारहवां मन्त्र )
स्वर्गे लोक न भयं किञ्चनास्ति न तत्र त्वं न जरया बिभेति।
उभे तीर्त्वाशनायापिपासे शेकातिगो मोदते स्वर्गलोके ॥१२॥
(नचिकेता ने कहा) स्वर्गलोक में किञ्चिन्मात्र भी भय नहीं है। वहां आप (मृत्यु) भी नहीं हैं। वहां कोई वृद्धावस्था से नहीं डरता। स्वर्गलोक के निवासी भूख-प्यास दोनों को पार करके शोक से दूर रहकर सुख भोगते हैं।
उभे तीर्त्वाशनायापिपासे शेकातिगो मोदते स्वर्गलोके ॥१२॥
(नचिकेता ने कहा) स्वर्गलोक में किञ्चिन्मात्र भी भय नहीं है। वहां आप (मृत्यु) भी नहीं हैं। वहां कोई वृद्धावस्था से नहीं डरता। स्वर्गलोक के निवासी भूख-प्यास दोनों को पार करके शोक से दूर रहकर सुख भोगते हैं।
(Nachiketa said): “There is no fear in the Heaven. You (Death) are also not there. There is no fear of old age. Having crossed beyond both hunger and thirst and being above grief. Thus the man who has attained Heaven remains there with all happiness.”
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