23rd Mantra of Kathopanishada
(तेइसवां मन्त्र)
भूमेर्महदायतनं वृणीष्व स्वयं च जीव शरदो यावदिच्छसि ॥२३॥
(यमराज ने नचिकेता से कहा) सौ वर्ष जीने वाले पुत्र और पौत्रों को माँग लो बहुत से पशुओं को, घोड़े, हाथी, सुवर्ण, पृथ्वी के बड़े विस्तार को माँग लो और तुम स्वयं भी जितने वर्ष इच्छा करे जीवित रहो।
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