कठोपनिषद


13th Mantra of Kathopanishada
 (तेरहवां मन्त्र)

स त्वमग्नि स्वर्ग्यमध्येषि मृत्यों प्रब्रूहि त्वं श्रद्दधानाय मह्यम।
स्वर्गलोका अमृतत्वं भजन्त एतद् द्वितीयेन वृणे वरेण ॥१३॥



(नचिकेता ने कहा) हे मृत्युदेव, आप स्वर्गप्राप्ति की साधनरुप अग्नि को जानते हैं। आप मुझ श्रद्धालु को उसे बता दें। स्वर्गलोक के निवासी अमरत्व को प्राप्त होते हैं। मैं यह दूसरा वर मांगता हूं।


(Nachiketa said :) “O Death! You know the fire of sacrifice which leads to heaven, so describe it to me because my heart is filled with faith. They (who live in the realm of heaven) achieve immortality. This I beg as my second boon.”

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