कठोपनिषद

10th Mantra of Kathopanishada.

(दसवां मन्त्र)

शान्तसकल्प: सुमना यथा स्याद्वीतमन्युगौर्तमों माभि मृत्यो।
त्वत्प्रसृष्टं माभिवदेत्प्रतीत एतत्त्रयाणां प्रथमं वरं वृणे ॥१०॥

(नचिकेता ने उत्तर दिया) हे (यम) मृत्युदेव, गौतमवंशीय (मेरे पिता) उद्दालक मेरे प्रति शान्त संकल्पवाले, प्रसन्नचित और क्रोधरहित हो जायं, आपके द्वारा वापस भेजे जाने पर वे मुझ पर विश्वास करते हुए मेरे साथ प्रेमपूर्वक बात करें, (मैं) यह तीन में से प्रथम वर मांगता हूं।

Nachiketa replies: “O Yama(the Ruler of death)! My father, Gotham (Uddhalak), be free from anxious thought (about me). May he lose all anger (towards me) and be pacified in heart, and that he may know me and greet me, when I shall be sent away by you."

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