प्रथम अध्याय
शान्तिः पाठ
ॐ सह नाववतु, सह नौ भुनक्तु, सह वीर्यं करवावहै ।
तेजस्वि नाधीतमस्तु, मा विद्विषावहै ॥
ॐ शान्तिः ॐ शान्तिः ॐ शान्तिः
PEACE CHANT
Aum! May Brahman (the Supreme Being) protect us both (The Guru and Shishya), May He give enjoyment us! May we attain strength! May our study be illuminative! May there be no jealous among us!
AUM! PEACE! PEACE! PEACE!
हे परमात्मन् ! आप हम दोनों गुरु और शिष्य की साथ- साथ रक्षा करें, हम दोनों का पालन-पोषण करें, हम दोनों साथ-साथ शक्ति प्राप्त करें, हमारी प्राप्त की हुई विद्या तेजप्रद हो, हम परस्पर द्वेष न करें, परस्पर स्नेह करें। हे परमात्मन् त्रिविध ताप की शान्ति हो।
ॐ शान्तिः ॐ शान्तिः ॐ शान्तिः
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