कठोपनिषद्


प्रथम अध्याय
तृतीय वल्ली


(बारहवाँ मन्त्र) 


एष     सर्वेषु     भूतेषु     गूढोत्मा    न    प्रकाशते ।
दृश्यते त्वग्रयया बुद्धया सूक्ष्मया सूक्ष्मदर्शिभिः ॥१२॥

यह आत्मा (परमपुरुष) सब प्राणियों में छिपा हुआ रहता है, प्रत्यक्ष नहीं होता। सूक्ष्म दृष्टिवाले पुरुषों के द्वारा (ही) सूक्ष्म, तीक्ष्ण बुद्धि से (उसे) देखा जाता है।

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