कठोपनिषद्


प्रथम अध्याय
तृतीय वल्ली

(दसवाँ मन्त्र)

इन्द्रियेभ्यः परा ह्यर्था अर्थेभ्यश्च परं मनः।    
मनसस्तु परा बुद्धिर्बुद्धेरात्मा महान् परः ॥१०॥

(इन्द्रियों से (अर्थ) शब्दादि विषय अधिक बलवान् हैं और अर्थों (विषयों) से मन अधिक बलवान् है और मन से भी अधिक प्रबल बुद्धि है बुद्धि से महान् आत्मा अधिक बलवान् एवं श्रेष्ठ है।)

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