उपनिषद
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द्वितीय अध्याय
तृतीय वल्ली
(तृतीय मन्त्र)
भयादस्याग्निस्तपति भयात् तपति सूर्य:।
भयादिन्द्रश्च वायुश्च मृत्युर्धावति पञ्चम:।।३।।
इसके भय से अग्नि तपता है, इसके भय से सूर्य तपता है , इसके भय से इन्द्र, वायु और पाँचवाँ मृत्यु (देवता) दौड़ते हैं।
1 टिप्पणी:
Smart Indian
26 अक्तूबर 2011 को 1:49 am बजे
मिश्र जी, आपको, परिजनों, व मित्रों को दीपावली की शुभकामनायें!
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मिश्र जी, आपको, परिजनों, व मित्रों को दीपावली की शुभकामनायें!
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