उपनिषद
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ईशावास्योपनिषद
सनातन धारा
पूज्य गुरूजी
श्री यन्त्र मंदिर
अनंतबोध
अनन्तबोध योग
कठोपनिषद्
(बाइसवां मन्त्र)
अशरीरं शरीरेष्वनवस्थेष्ववस्थितम्।
महान्तं विभुमात्मानं मत्वा धीरो न शोचति॥ २२॥
नश्वर शरीरों में अशरीरी होकर स्थित (उस) महान् सर्वव्यापक परमात्मा को जानकर ध्रीर (विवेकशील) पुरुष कोई शोक नहीं करता।
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