(बाइसवां मन्त्र)
महान्तं विभुमात्मानं मत्वा धीरो न शोचति॥ २२॥
नश्वर शरीरों में अशरीरी होकर स्थित (उस) महान् सर्वव्यापक परमात्मा को जानकर ध्रीर (विवेकशील) पुरुष कोई शोक नहीं करता।
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