(सोलहवां मन्त्र)
एतद्धेवाक्षरं ज्ञात्वा यो यदिच्छति तस्य तत्॥ १६॥
निश्चयरूप से यह (ॐ) अक्षर (नाश न होने वाला) ही तो ब्रह्म है। यह ही परम (सर्वश्रेष्ठ) अक्षर है। इसीलिए इसी अक्षर को जानकर जो जिस विषय की इच्छा करता है उसको वह प्राप्त हो जाता है।
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